tag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post4007570740930114896..comments2024-02-28T19:01:43.131-08:00Comments on साला सब फ़िल्मी है...: प्रेमचंद के साहित्य में प्रस्तुत नारीAnkur Jainhttp://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-41804953607446895712019-12-04T22:54:46.377-08:002019-12-04T22:54:46.377-08:00Premchand ke stree purush sambandho aur dampaty je...Premchand ke stree purush sambandho aur dampaty jeevan par bhi likhiye plzzzAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/13021934863300831689noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-45801655193404945412017-06-08T14:28:54.759-07:002017-06-08T14:28:54.759-07:00This comment has been removed by the author.DIPANSHU MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/03963370812869403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-87161843454809698752017-06-08T14:23:21.035-07:002017-06-08T14:23:21.035-07:00This comment has been removed by the author.DIPANSHU MISHRAhttps://www.blogger.com/profile/03963370812869403648noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-77219152273969042032015-01-13T03:43:07.512-08:002015-01-13T03:43:07.512-08:00 मैं क्या कहूँ ऊपर के सभी टिपण्णीकारों से सहमत हू... मैं क्या कहूँ ऊपर के सभी टिपण्णीकारों से सहमत हूँ ।Dayanand Aryahttps://www.blogger.com/profile/05806267941810654316noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-13991401357811584272013-07-27T08:09:23.568-07:002013-07-27T08:09:23.568-07:00बहुत-बहुत शुक्रिया विकेश जी...बहुत-बहुत शुक्रिया विकेश जी...Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-42083599792098906062013-07-26T07:46:05.065-07:002013-07-26T07:46:05.065-07:00सर्वप्रथम एक साहित्यकार के प्रति इतना सम्मान, भा...सर्वप्रथम एक साहित्यकार के प्रति इतना सम्मान, भावनागत लगाव रखने के लिए आपको धन्यवाद। प्रेमचन्द ने नारी के प्रति जो दर्शन, सम्मान, आत्मज्ञान अपने साहित्य में प्रस्तुत किया है निश्चित रुप से सरकार द्वारा प्रायोजित आज का नारी सशक्तिकरण कार्यक्रम उसके सम्मुख भौंडा व बचकाना ही है। नारीत्व के उत्थान के लिए जो सूत्र प्रेमचंद ने व्यक्त किए हैं, उनकी प्रासंगिकता सदैव ही बनी रहेगी। .......आलेख अच्छा है। शुभकामनाएं।Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-1520357166360519282013-07-26T04:27:05.274-07:002013-07-26T04:27:05.274-07:00बहुत-बहुत धन्यवाद आपका...बहुत-बहुत धन्यवाद आपका...Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-35129511447953421412013-07-25T09:42:58.342-07:002013-07-25T09:42:58.342-07:00This comment has been removed by the author.HUSAIN TABISH https://www.blogger.com/profile/17372762966885198862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-78057210872825497022013-07-25T09:42:18.017-07:002013-07-25T09:42:18.017-07:00प्रेमचंद को मैं अबतक पिछडे, पददलित, शोषित और गरीब ...प्रेमचंद को मैं अबतक पिछडे, पददलित, शोषित और गरीब किसानों की दुर्दशा पर लिखले वाले लेखक के रूप में ही जानता था। कभी उनके लेखनी को महिला विमर्श के नजरिए से देखने की जहमत नहीं की थी। लेकिन आपके इस लेख को पढने के बाद प्रेम चंद के साहित्य में नारी विमर्श की जो झलक मिली है उससे एक बार फिर से उनके साहित्यिक कृतियों को पढने और समझने की इच्छा जाग गई है। इसके साथ् ही आपकी सूक्ष्म दृष्टि और अवलोकन क्षमता की दाद देना मैं चाहुंगा। मंुशी जी के कृतियों से उद्धृत उनके विचारों द्वारा लेख को र्तक की कसौटी पर कसकर सत्यापित करने की आपकी क्षमता भी काबिले तारीफ है।HUSAIN TABISH https://www.blogger.com/profile/17372762966885198862noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-44293107301277040502013-07-24T09:17:26.170-07:002013-07-24T09:17:26.170-07:00ये आपका बढ़प्पन एवं साहित्य की गहन समझ है सौरभजी.....ये आपका बढ़प्पन एवं साहित्य की गहन समझ है सौरभजी..जो मेरे भाव आप तक उस रूप में पहुँच पाते हैं जैसा मैं बताना चाहता हूँ...आपका उत्साहवर्धन मेरे लिये एक बेहद अहम् टॉनिक का काम करता है...धन्यवाद आपका।Ankur Jainhttps://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-76883041644609125472013-07-24T08:41:58.287-07:002013-07-24T08:41:58.287-07:00 अंकुर मैं आपको बता नहीं सकता, इसे पढ़कर मुझे कितन... अंकुर मैं आपको बता नहीं सकता, इसे पढ़कर मुझे कितना सुख मिला, प्रेमचंद को एक नये आइने में देख सका हूँ इस लेख को पढ़कर, प्रेमचंद पर आपकी रीडिंग बहुत गहरी है और बहुत संवेदनशीलता के साथ की गई है। आपने कविताओं पर भी एक ब्लाग लिखा है, उस तक भी पहुँचुँगा शीघ्र ही लेकिन मुझे लगता है कि कविता पढ़ने के लिए एक विशेष मूड चाहिए होता है नहीं तो कविता के मूल्यांकन में अन्याय हो जाता है।<br /> sourabh sharmahttps://www.blogger.com/profile/11437187263808603551noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-82955623281265754942013-07-23T13:38:07.576-07:002013-07-23T13:38:07.576-07:00बड़े गूड सवाल हैं ...और सदियों से चले आ रहें है .....बड़े गूड सवाल हैं ...और सदियों से चले आ रहें है ..बुद्धिजीवियों के लिए... मैं तो ये ही कह सकता हूँ कि हमें अपने गिरेबान में झाँकने की ही ज़रूरत है !<br />बहुत प्रभावशाली लेखनी है आपकी ...<br />बधाई !अशोक सलूजाhttps://www.blogger.com/profile/17024308581575034257noreply@blogger.com