tag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post1505882476003587029..comments2024-02-28T19:01:43.131-08:00Comments on साला सब फ़िल्मी है...: मानव पूंजी का निकास और लड़खड़ाती भारतीय अर्थव्यवस्थाAnkur Jainhttp://www.blogger.com/profile/17611511124042901695noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-64915821814930258962014-07-11T22:19:42.154-07:002014-07-11T22:19:42.154-07:00बेहद सार्थक एवं सटीक विचारों से युक्त एक बेहतरीन ...बेहद सार्थक एवं सटीक विचारों से युक्त एक बेहतरीन आलेख <br />सदाhttps://www.blogger.com/profile/10937633163616873911noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-38903428566222046662014-07-11T05:55:11.874-07:002014-07-11T05:55:11.874-07:00बेहद उम्दा और सटीक पोस्ट...विचारणीय भी ! एक अच्छी ...बेहद उम्दा और सटीक पोस्ट...विचारणीय भी ! एक अच्छी सोच ! :)Preeti 'Agyaat'https://www.blogger.com/profile/10022068567986107219noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3000539000096334602.post-16750036928710851822014-07-11T03:08:55.067-07:002014-07-11T03:08:55.067-07:00सवाल ये भी है कि नेता के बेटे को ये कहने की जरूरत ...सवाल ये भी है कि नेता के बेटे को ये कहने की जरूरत क्यों हुई कि मैं अमुक नेता का बेटा हूं...................इस देश नहीं कहूंगा, इस भारतीय शासन व्यवस्था में सच कहूं तो बॉस दम घुटता है। व्यवस्था है कहां। प्राइवेट स्कूल या प्राइवेट हास्पिटल का क्या मतलब है? लोकतन्त्रत के साथ या प्राइवेट व्यवस्था मजाक नहीं है तो अौर क्या है। इसीलिए तो मैंने अपनी एक उक्ति में कहा है--मानव का मानव पर सबसे बड़ा उपकार यही होगा कि वो मानव को जन्म देना ही छोड़ दे। यह वेदना भारतीय व्यवस्था में घुट रहे जीवन के कारण ही उभरी है बॉस। चलो हम मानते हैं कि कुछ लोग विद्वान व योग्य हैं तो उन्हें समाज में मौजूद सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध हो जाते हैं, पर वे विद्वान व योग्य किसलिए हैं, जब वे समाज या देश या व्यवस्था की दुर्व्यवस्थाएं बदल ही न पाएं या सभी दुर्व्यवस्थाएं यथावत रहें। क्या उनकी योग्यता संसाधनों व सुविधाओं का भोग करके मर-खप जाने के लिए ही हैं। Harihar (विकेश कुमार बडोला) https://www.blogger.com/profile/02638624508885690777noreply@blogger.com