हम तो रोज़ तेरे 'साहिल ' से प्यासे गुज़र जाते हैं !!
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वापसी का सफ़र अब मुमकिन ना होगा “फ़राज़ ”
हम तो निकल चुके हैं आँख से आंसू की तरह !
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यारों की वफाओं का भरोसा किया मैंने ..
फुल्लों मैं छुपाया हुवा खंजर नहीं देखा !!
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इन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे ..
मुझे रोक रोक के पूछा तेरा हमसफ़र कहाँ है ??"
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वफ़ा की लाज मैं उसको मना लेता तो अछा था ..
दिल की जंग मैं अक्सर जुदाई जीत जाती है !!
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मैं कभी ना मुस्कुराता जो मुझे ये इल्म होता ..
के हजारों ग़म मिलेंगे मुझे इक ख़ुशी से पहले !!
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वो जिस के नाम की निस्बत से रौशन था वजूद ..
खटक रहा है वही आफताब आँखों में !!
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वो रोज़ परिंदों की मिसाल देता है फ़राज़ ..
साफ़ नहीं कहता मेरा शेहेर छोड़ दे !!
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अनजान बन कर मुझसे पूछते है के कैसे हो ,
के मुझे जानता नहीं के मैं तुझी में रहता हूँ ..
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निकाल दे फ़राज़ दिल से ख्याल उस का . .
यादें किसी की तकदीर बदला नहीं करती !!
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दिल की बस्ती भी अजीब बस्ती है ..
लूटने वाले को तरसती है !!
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इस तरह गौर से मत देख मेरे हाथ ऐ फ़राज़ ..
इन लकीरों मैं हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं !!
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मुझे भी शौक़ हुवा मोहब्बत का
अघाज़ -इ -मुहब्बत मैं ही जान गिरवी रखनी पड़ी .......
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अक्ल हर बार दिखाती थी जले हाथ अपने ..
दिल ने हर बार कहा आग पराई ले ले !!
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मुझे तिष्ना.. लबों की याद मे पीने नहीं देती
उठाता जा रहा हूँ .. टूटता जाता है पैमाना ..!!
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शाम होते ही शमा को बुझा देता हूँ ..
इक दिल ही काफी है तेरी याद मैं जलने के लिए !!
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खैरात मैं मिली ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती ..
मैं अपने ग़ममें रहता हूँ नवाबो की तरह !!
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फ़राज़ ' अपने सिवा है कौन तेरा ..
तुझे तुझ से जुदा देखा ना जाए !!
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मैं खुद को भूल चुका था मगर जहावाले ..
उदास छोड़ गए आईना दिखाके मुझे !!
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किस तरह उसको मई दरिया की रवानी कर दूं ..
बर्फ है और वो पिघलना भी नहीं चाहता है !!
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तेरे दस्त -इ -सितम का अज्ज़ नही ..
दिल ही काफिर था जिस ने आह ना की !!
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इसी में इश्क की किस्मत बदल भी सकती थी ..
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में !!
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निजाम इस मैकदे का इस कदर बिगड़ा है ऐ साकी ..
उसी को जाम मिलता है जिसे पीना नहीं आता !!
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दिल भी इक जिद पे अड्डा है किसी बचे की तरह
या तो सब कुछ चाहिए , या फिर कुछ भी नहीं .
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वोह दिल का हमसफ़र है येही पहचान है उसकी ..
जहाँ से भी गुज़रता है सलीका छोड़ जाता है ! !
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हम ना बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ फ़राज़ ..
हम जब भी मिलेंगे अंदाज़ पुराना होगा !!
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तुम तक़ल्लुफ़ को भी इखलास समझते हो 'फ़राज़ '..
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलानेवाला !!
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तू भी दिल को इक लहू की बूंद समझा है 'फ़राज़ '..
आँख गर होती तो कतरे में समंदर देखता !!
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नर्म जज़्बात , भली बातें , मोहज्ज़ाब लहजे ..उठाता जा रहा हूँ .. टूटता जाता है पैमाना ..!!
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शाम होते ही शमा को बुझा देता हूँ ..
इक दिल ही काफी है तेरी याद मैं जलने के लिए !!
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खैरात मैं मिली ख़ुशी मुझे अच्छी नहीं लगती ..
मैं अपने ग़ममें रहता हूँ नवाबो की तरह !!
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फ़राज़ ' अपने सिवा है कौन तेरा ..
तुझे तुझ से जुदा देखा ना जाए !!
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मैं खुद को भूल चुका था मगर जहावाले ..
उदास छोड़ गए आईना दिखाके मुझे !!
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किस तरह उसको मई दरिया की रवानी कर दूं ..
बर्फ है और वो पिघलना भी नहीं चाहता है !!
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तेरे दस्त -इ -सितम का अज्ज़ नही ..
दिल ही काफिर था जिस ने आह ना की !!
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इसी में इश्क की किस्मत बदल भी सकती थी ..
जो वक़्त बीत गया मुझ को आज़माने में !!
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निजाम इस मैकदे का इस कदर बिगड़ा है ऐ साकी ..
उसी को जाम मिलता है जिसे पीना नहीं आता !!
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दिल भी इक जिद पे अड्डा है किसी बचे की तरह
या तो सब कुछ चाहिए , या फिर कुछ भी नहीं .
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वोह दिल का हमसफ़र है येही पहचान है उसकी ..
जहाँ से भी गुज़रता है सलीका छोड़ जाता है ! !
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हम ना बदलेंगे वक़्त की रफ़्तार के साथ फ़राज़ ..
हम जब भी मिलेंगे अंदाज़ पुराना होगा !!
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तुम तक़ल्लुफ़ को भी इखलास समझते हो 'फ़राज़ '..
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलानेवाला !!
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तू भी दिल को इक लहू की बूंद समझा है 'फ़राज़ '..
आँख गर होती तो कतरे में समंदर देखता !!
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पहली बारिश में ही यह रंग उतर जाते हैं !!
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कल ख़ुशी थी दामन में , आज सिर्फ दर्द है उनका
वो भी था करम उनका , ये भी है करम उनका
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ये जो रात दिन की हैं गर्दिशें , यह जो रोज़ -ओ -शब् के हैं सिलसिले
हैं अज़ल से उन के नसीब मैं .. वही दूरियां वही फासले ..
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तो ये तय है के अब उम्र भर नहीं मिलना
तो फिर ये उम्र ही क्यूँ .. गर तुझ से नहीं मिलना !!
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किसी बेवफा की खातिर ये जनून फ़राज़ कब तक
जो तुम्हें भुला चूका है उसे तुम भी भूल जाओ
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थी खबर गर्म के ग़ालिब के उड़ेंगे तुकडे
देखने हम भी गए .. पर तमाशा ना हुआ !!
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मसरूफियत ये मेरी गर तुझसे नहीं , तोह जाया है ..
गम हुआ है तुझमे जो उस्सने खुदा को पाया है !!
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बंदिशें हम को किसी हाल गवारा ही नहीं ..
हम तो वो लोग हैं दीवार को दर करते हैं !
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रोने से और इश्क में बे -बाक हो गए ..
धोये गए हम ऐसे की बस पाक हो गए
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ग़ालिब ना कर हुज़ूर में तू बार -बार अर्ज़ ..
ज़ाहिर है तेरा हाल सब उन पर कहे बग़ैर !!
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भटके हुए फिरते हैं कई लफ्ज़ जो दिल मैं ..
दुनिया ने दिया वक़्त तो लिक्खेंगे किसी दिन !!
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जो तुम बोलो बिखर जायें , जो तुम चाहो संवर जायें ..
मगर यूं टूटना जुड़ना बुहत तकलीफ देता है
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कुछ ऐसे हादसे भी ज़िन्दगी में होते हैं 'फ़राज़ '..
के इंसान बच तो जाता है मगर जिंदा नहीं रहता !!
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साभार गृहीत
jai prakash chaukse se kya ab galib banne ka mood hai sirji. filmi dunia me hi leen rahe to behtar hoga...........ab kaun si sameeksha padne ko milegi hame iske bare me btaye .........hum apki post ka intjaar besabri se kar rahe hai. reman phir oscar ki daud me hai is bar kuch likhiye sir...........
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत शेर ... आपने तो पूरा समुन्दर परोस दिया ..
ReplyDeleteबहुत पसन्द आया
ReplyDeleteहमें भी पढवाने के लिये हार्दिक धन्यवाद
बहुत देर से पहुँच पाया .............माफी चाहता हूँ..