Sunday, June 6, 2010

रणवीर के लिए "राजनीति" के मायने.


बॉक्स ऑफिस पर जून का पहला हफ्ता प्रकाश झा की "राजनीति" के रंग में सराबोर है। बड़े सितारे, भव्य दृश्य, बड़े-बड़े पोस्टर्स, आकर्षक ट्रेलर्स, जमकर प्रचार ने इस फिल्म को बहुप्रतीक्षित बना दिया था। हफ्ते की शुरुआत में सिनेमाघरों में जमकर बरसी भीड़ इसे सुपरहिट भी करा देगी। फिल्म से जुड़े हर शख्स के लिए मानसून खुशियाँ लेकर आएगा। खैर, फिल्म की विशेष समीक्षा करना मेरा उद्देश्य नहीं है काफी टिप्पणियाँ फिल्म के सम्बन्ध में की जा चुकी है। मै इस फिल्म के मायने रणवीर के लिए क्या होंगे इस पर विमर्श करना चाहूँगा...

लगातार चौथी हिट रणवीर की झोली में गिरी है इससे वे अपने समकालीन कई सितारों से बहुत ऊपर चले गए है और अपने से ४-५ साल सीनियर शाहिद और विवेक ओबेराय जैसे दूसरे सितारों को भी टक्कर दी है। बड़ी बात ये है कि वे प्रथम पंक्ति के नायक हैं, अरशद वारसी और तुषार कपूर जैसे द्वितीय पंक्ति के नहीं। "सांवरियां" जैसी भव्य फ्लॉप फिल्म से शुरुआत करने वाले रणवीर का उछलना कई फिल्म विश्लेषकों और इंडस्ट्री के लिए एक अनापेक्षित घटना की तरह है। लेकिन रणवीर ने नदी की पतली धार की तरह बालीवुड के इस मायावी संजाल में अपनी जगह बना ली। खुद के करियर को भी उन्होंने "राजनीति" के समरप्रताप की तरह सूझबूझ से दिशा दी।

"राजनीति" में बहुसितारा नायकों की भीड़ में वे ध्रुव तारे की तरह चमक रहे हैं। गोया कि महाभारत का अर्जुन भी वे हैं और कृष्ण भी वे हैं। जो शतरंज कि विसात पर सारे मोहरे खुद की रणनीति से आगे बढाता है। प्रकाश झा ने भी हिम्मत का काम किया जो अजय देवगन और नाना पाटेकर जैसे निष्णांत कलाकारों के बीच रणवीर को ये भूमिका दी। ऐसा नहीं है कि इसे रणवीर से बेहतर कोई नहीं निभा सकता था, लेकिन रणवीर ने भी झा के विश्वास के साथ न्याय किया। एक पढ़े-लिखे जोशीले महत्वाकांक्षी युवा के रूप में वे फब रहे थे।

"राजनीति" कई बुझते सितारों के लिए एक नयी रोशनी देगी जिनमे अर्जुन रामपाल, मनोज वाजपेयी शामिल है तो वही रणवीर के लिए ये नए पंख देने वाली फिल्म साबित होगी। जिसके दम पर वे हिंदी सिनेमा के विशाल आकाश में उड़ान भर सकेंगे। रणवीर को खुद की किस्मत का भी शुक्रिया अदा करना चाहिए जो उन्हें इतने बेहतर अवसर मुहैया करा रही है। इससे वे सारी फिल्म इंडस्ट्री के लिए 'एप्पल आई' बन गये हैं। "वेक अप सिड" में एक गैर ज़िम्मेदार युवा की भूमिका, "रोकेट सिंह" में हुनरमंद सेल्समेन और अब "राजनीति" के समरप्रताप सिंह...ये सारी अलग-२ भूमिकाएं उन्हें एक हरफनमौला अदाकार साबित कर रही है। हालाँकि मैं रणवीर की किस्मत की बात करके उनकी प्रतिभा पर कोई प्रश्नचिन्ह नहीं लगा रहा हूँ। वे प्रतिभा शाली है, और अमेरिका के एक फिल्म संस्थान से विधिवत 'मेथड एक्टिंग' का अध्ययन प्राप्त है। मै सिर्फ ये कहना चाहता हूँ कि कई बार अच्छी प्रतिभाओं को सही अवसर नहीं मिल पाते, ऐसा रणवीर के साथ नहीं है।

जिस तरह से रणवीर आगे बढ रहे हैं उसे देख लगता है कि १-२ साल में वे सितारा श्रेणी में आ जायेंगे जहाँ आज खान चौकड़ी, अक्षय, हृतिक बैठे हैं। लेकिन ये फिल्म इंडस्ट्री है यहाँ जो जितनी तेजी से ऊपर जाता है उससे दुगनी तेजी से नीचे आता है। फिल्म इंडस्ट्री के आसमान से कब कौनसा सितारा टूट जाये ये आकश को भी पता नहीं होता। इसलिए रणवीर ये ध्यान रखे कि खुद को कैसे प्रयोग करना है। स्वयं को अनावश्यक खर्च करने से बचें। इस मामले में आमिर खान को आदर्श बनाया जा सकता है।

बहरहाल, कपूर खानदान को २० साल बाद अपना असल बारिश मिला है। रणवीर को लेकर शायद किसी ऐसी फिल्म की योजना बने जो आर.के.बेनर को फिर जिंदा कर दे। रणवीर की कोशिश होगी कि वो भी अपने पिता और दादा की तरह एक संजीदा अभिनेता बने। "राजनीति " का समर प्रताप सिंह तो बस एक शुरुआत है।

खैर अंत में थोड़ी सी बात "राजनीति" की...भले ये फिल्म सुपरहिट हो, कमाई के कुछ रिकार्ड कायम करे पर ये झा की बेहतर कृति नहीं है। झा एक बहुत उम्दा फिल्म बनाने से चूक गये...एक अराजक, अतिरंजक फिल्म बन गयी जो यथार्थ का असल चित्रण नहीं है। "गंगाजल" और "अपहरण" वाले प्रकाश इसमें नज़र नहीं आये। इंटरवल तक प्रकाश ने अपने पत्ते अच्छे बिछाए थे बस उन्हें खोलने में रायता फ़ैल गया। फिर भी भव्य दृश्यों का फिल्मांकन और इतनी बड़ी स्टारकास्ट को साधना तारीफ के काबिल है। इतनी बड़ी स्टारकास्ट के बाद भी कोई भी स्टार गौढ़ नहीं किया गया है, सभी याद रखे जाते हैं। ढाई घंटे की फिल्म में इतना कुशल प्रबंधन है कि सब को अच्छे अवसर मिले है। और हाँ फिल्म के असली नायक की बात करना तो हम भूल ही गए-वो है भोपाल, जो फिल्म की नसों में रक्त बनकर प्रवाहित हो रहा है। कैमरे की आँख ने बड़ा ख़ूबसूरत भोपाल प्रस्तुत किया है, बड़ी आकर्षक लोकेशन है। कुछ खामियों को छोड़ दिया जाये तो कई खूबियों के लिए फिल्म देखी जा सकती है..........

1 comment:

  1. me aapki is bat se sahmat hu ki prakash jha ek bahut hi umda film banane se chuk gaye.....lakin is bat me bhi koi doray nahi hai yah film apne aap me ek mishal hai...achchha lekh!!!!

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