Wednesday, August 31, 2011

सलमान खान: सीमित प्रतिभा और अपार लोकप्रियता का रसायन


ईद के अवसर पर विगत २ वर्षों की तरह एक बार फिर सलमान अपनी नयी सौगात "बॉडीगार्ड" के साथ हाजिर है...लेकिन मै पहले ये बता दूँ कि मेरा ये लेख इस फिल्म की समीक्षा करने के लिए नहीं है क्योंकि अब तक मैंने ये फिल्म नहीं देखी है...यहाँ बात दूसरी करना है।

बालीवुड के सबसे बड़े सुपर सितारे बनते जा रहे सलमान का नाम ही किसी फिल्म का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन बढ़ाने के लिए काफी है.."बॉडीगार्ड" की सफलता के साथ वह पहले ऐसे सितारे बन जायेंगे जिनकी लगातार ४ फिल्मों का व्यावसायिक आंकड़ा १०० करोड़ के पार होगा। क्या कारण है कि एक सीमित प्रतिभा के कलाकार की फ़िल्में जो घोर अतार्किक होती है फिर भी दर्शक उन पर दीवानों कि तरह उमड़ पड़ता है...और उनकी इस अतार्किक विडंबनाओं को पूरे चाव से यथार्थ की भांति अनुभव कर देखता है।

एक साथ पचासों गुंडों के बीच बड़े ही अविश्वसनीय ढंग से लड़ता हुआ एक मसल्समेन दर्शकों में एक अजब उन्माद जगा जाता है...और उस उन्माद को जगाने के लिए उसे 'कृष' के हृतिक या 'रा-१' के शाहरुख़ की तरह किन्हीं दैवीय शक्तियों को पाने की जरुरत नहीं है। वह बिना किसी कलेवर के होते हुए भी सुपरहीरो है..लेकिन प्रतिनिधित्व आम आदमी का करता है। उन बेढंगे दृश्यों को देखते हुए शरीर में एक झुनझुनी दर्शक महसूस करता है और सहस रोंगटे खड़े हो जाते है।

कितनी अजीब बात है कि एक सीमित प्रतिभा का इन्सान इस कदर लोकप्रियता हासिल कर जाता है कि मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान को कहना पड़ता है कि उन्हें सलमान की लोकप्रियता से जलन होती है। दरअसल लोकप्रियता का गणित भी बड़ा अजीब है जिसे समझ पाना बड़ा दुर्लभ है..और इस लोकप्रियता को हासिल करने के लिए कई बार प्रतिभा और कर्म बहुत बौने साबित हो जाते है..और कोई किस्मत का धनी बैठे-ठाले ही फेमस हो जाता है। योगगुरु बाबा रामदेव का भ्रष्टाचार के खिलाफ अनशन फ्लॉप हो जाता है तो एक छोटे से गाँव के आम आदमी अन्ना हजारे विशाल जनक्रांति ला देते हैं। कई प्रतिभाशाली कत्थक और भरतनाट्यम की नृत्यांग्नाएं गुमशुदा रहती है..और राखी सावंत जैसी दो कौड़ी की आइटम डांसर बड़ा नाम पा जाती है। 'बिग बॉस' के घर की सबसे बड़ी तमाशबीन डॉली बिंद्रा की TRP सबसे ज्यादा बढ़ जाती है। तकनीकी कौशल से लबरेज टेस्ट मेच क्रिकेट हाशिये पर फेंक दिया जाता है और २०-२० क्रिकेट की बहार आ जाती है। दरअसल इस देश में लोक को समझना ही टेड़ा काम है तो उसकी लोकप्रियता को कैसे समझा जा सकता है। लोकप्रियता बुद्धिजीवियों की पसंद से ज्यादा अघोरियों की पसंदगी पे निर्भर करती है...और अघोरियों के भी मूड़ होते हैं कभी कुढा-कचरा खाने वाले ये अघोरी उसी कचरे को इसलिए नकार देते हैं क्योंकि उसपे मक्खी बैठी थी।

सलमान खान की लोकप्रियता वेवजह हो या वे इसके लायक नहीं हैं ऐसा मैं नहीं कह रहा..मैं बस ये बताना चाहता हूँ कि बस लोकप्रियता को महानता का पैमाना नहीं बनाया जा सकता...लेकिन आज सर्वत्र आलम ये है कि लोग महानता के पीछे नहीं लोकप्रियता के पीछे ही भागना पसंद करते है..हिंदी फिल्म सिनेमा में सलमान इकलौते ऐसे सितारे नहीं रहे जो सीमित प्रतिभा के बाद इतने लम्बे समय तक इस इंडस्ट्री में मुस्तैदी से जमे रहे इससे पहले भी जुबली कुमार के नाम से मशहूर राजेंद्र कुमार और जीतेन्द्र ने लम्बी परियां खेली है। जो तत्कालीन प्रतिभाशाली कलाकार संजीव कुमार और अमोल पालेकर जैसे सितारों से ज्यादा लोकप्रिय रहे है।

सलमान की पैंठ उन दर्शक वर्ग तक है जहाँ शाहरुख़, आमिर और अक्षय पहुँचने के लिए तरसते हैं...इसका और विशदता से ज़िक्र मैंने अपने इसी ब्लॉग पर प्रकाशित लेख "सितारा सिंहासन और दबंग सलमान" में किया है। खैर यदि आपको असल सलमानी प्रभाव देखना है तो मल्टीप्लेक्स की बजाय एकलठाठिया सिनेमाघर में जाकर "बॉडीगार्ड" मजा लीजिये...जहाँ सलमान के एक-एक संवाद और एक्शन दृश्यों पर बजने वाली सीटियाँ और भान्त-भान्त के कमेंट्स आपको फिल्म से ज्यादा मनोरंजन प्रदान करेंगे।

फ़िलहाल अपनी बात समाप्त करता हूँ और सलमान के अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूँ क्योंकि इन दिनों ये बॉडी-बिल्डर सुपर सितारा अपनी एक छोटी सी गले की नस के दर्द से परेशान है..और उसकी सर्जरी कराने अमेरिका गया हुआ है। यहाँ ये बात भी समझ आती है कि अपार लोकप्रियता और पहलवानी वदन होने के वावजूद इन्सान कितना लाचार है..फिर आखिर घमंड किसका करें। छलावे से भरे संसार में सबसे ज्यादा छल..हमारे साथ हमारा अपना शरीर और लोकप्रियता ही करती है।

11 comments:

  1. ankur ji,
    salman khan ke bare me ye kahna ki ve sadharan pratibha vale hain galat hai.ye to unki jeevan shelly v durbhagya raha ki unhone actressess ki aage badhne me madad ki aur ve unhe dhokha de aage badh gayi.varna yadi ve apne sahi karyon me vyast rahte to film industry me unki pratibha ke mukable ka koi anya khan nhai tha.
    aalekh achchha hai.aabhar.
    सांसदों के चुनाव के लिए स्नातक होना अनिवर्य

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  2. aapke blog par lambe samay se fimo par koi post padne ko nahi mili.... aaj salman k bare me padkar aapne is kami ko pura kar diya sir... nice....

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  3. किसने कहा यश और प्रतिभा का सीधा सम्बन्ध है।

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  4. बहुत सही लिखा आपने. आदमी का घमंड तभी तक है जब तक वो प्रकॄति के हथौडे के नीचे नही आया.

    रामराम.

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  5. yeah, he is a great actor.

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  6. जिस विश्लेषणात्मक ढंग से तथ्य प्रस्तुत किए हैं वह प्रशंसनीय है.

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  7. आपकी बात काफी हद तक सही है .....

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  8. बहुत सुन्दर ! प्रशंग्सनीय प्रस्तुती!
    आपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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  9. घमंडी होने का नतीजा अच्छे अछे लोग देख चुके हैं ... सलमान ने भी देखा है इसलिए वो अब लगता है जनता के बीच जाना चाहते हैं ..

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  10. मुझे तो यह कभी कलाकार नहीं लगा।

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  11. सलमान में दम है इस बात को नकारा नहीं जा सकता...दबंग में उसने खूब अभिनय किया...उनका पांडे जी बोलना भा गया...माना वो महान अभिनेता नहीं हैं लेकिन लोकप्रिय हैं इसमें दो राय नहीं...हम जो खुद कर नहीं सकते उसे किसी दूसरे द्वारा करते देख खुश होते हैं...सलमान हमारी दमित इच्छाओं को साकार करते हैं इसलिए लोकप्रिय हैं...

    नीरज

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