Tuesday, December 25, 2012

ताबड़तोड़ करियर का एक ख़ामोश अंत

"जब सचिन बेटिंग कर रहे हों, तब आप अपने सारे गुनाह कबूलकर लीजिये, क्योंकि तब भगवान भी उनकी बेटिंग देखने में मस्त रहते हैं" ये स्लोगन आस्ट्रेलिया में हुए एक मैच के दौरान सचिन के लिए एक पोस्टर पर देखने को मिला था। सचिन के अभिनन्दन में इस तरह की अतिश्योक्ति परक बातें आज से नहीं कही जा रही। इनका सिलसिला बहुत पुराना है, ये बातें दरअसल अपनी भावनाओं के सैलाब कों व्यक्त करने का एक जरिया है। लेकिन फिर भी हम हमारी भावनाएं उस ढंग से ज़ाहिर नहीं कर पाते जिस ढंग से उन्हें महसूस करते हैं। कई बार खुद पे गुमान होता है की हम उस काल में पैदा हुए जब सचिन खेला करते थे, आने वाली पीढ़ियों कों हम बड़े चटकारे लेकर सचिन की दास्ताँ सुनायेंगे।

463 मैच, 18000 से ज्यादा रन, 49 शतक-96 अर्धशतक जैसे विशाल, ताबड़तोड़ एकदिवसीय करियर का अंत इतना ख़ामोशी से होगा इसका अंदाजा किसी को नहीं था...एक तो देश इस समय किसी और मुद्दे पर आक्रोशित है ऊपर से गुजरात में मोदी की माया ने सचिन के इस फैसले को तमाम सुर्खियों से परे बड़ा ठंडा बना दिया। लगता था कि जब सचिन रिटायर होंगे तो खिलाड़ियों के कंधे पर बैठकर सारे मैदान का चक्कर लगाते हुए तालियों के जबरदस्त शोर के बीच उनकी विदाई होगी पर क्रिकेट के इस शिखरपुरुष ने बड़ी ख़ामोशी से इस खेल को अलविदा कह दिया। जिसे न दर्शकों की तालियां मिली और नाहीं मीडिया की सुर्खिया। हो सकता है मैदान के शेर इस खिलाड़ी का अंतर्मन बेहद नाजुक हो और जमाने के सामने अपने प्यार से विदाई लेते वक्त ये अपनी भावनाओं पर काबू न कर पाए...जिसकी एक बानगी हमने 2011 वर्ल्डकप के फाइनल में देखी थी।

 ऐसा नहीं कि सचिन के रिकोर्ड को कोई छू नहीं पायेगा, ऐसा नहीं क्रिकेट में सचिन की पारियों से बेहतर पारियां देखने नहीं मिलेंगी, सचिन की महानता को सिर्फ उनकी क्रिकेटीय पारियों या रिकॉर्डों से नहीं तौला जा सकता। सचिन को महान बनाता है उनका व्यक्तित्व..जिसमें शामिल है क्रिकेट के प्रति समर्पण, प्रदर्शन में निरंतरता, धैर्य और अनुशासन। 23 साल तक क्रिकेट के सभी फॉरमेट में खुद को बेहतर बनाये रखना किसी के लिए भी आसान काम नहीं है...ये सिर्फ आपके क्रिकेटीय कौशल से संभव नहीं हो सकता..इसके लिए ज़रुरी है कुछ आंतरिक गुणों का होना। जो सचिन के व्यक्तित्व का एक अहम् हिस्सा है..जिसके चलते आज वे इस खेल की चोटी पर विराजमान है..और ख़ास तौर से वनडे क्रिकेट के तो लगभग तमाम कीर्तिमान उनकी झोली में हैं।

सचिन देश के उन सम्मानीय लोगों में से हैं जिनका देश कि हर छोटी-बढ़ी शक्सियत सम्मान करती है। इसका कारण ये नहीं कि वे एक अच्छे खिलाड़ी हैं इसका कारण है कि वे एक अच्छे इन्सान है। इन्सान को महान उसकी प्रतिभा बनाती है मगर उसका चरित्र उसे महान बनाये रखता है। सचिन के पास चरित्र कि पूंजी भी है। वे संयमित हैं, मर्यादित हैं और विनम्र है। यही कारण है कि अमिताभ बच्चन, लता मंगेशकर, आमिर खान से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी, अब्दुल कलाम तक उनका सम्मान करते हैं। युवराज सिंह अपने मोबाइल में सचिन का मोबाइल नम्बर 'गॉड' के नाम से सेव करते हैं।

सचिन की बल्लेबाज़ी देश के हर इन्सान को एक कर देती है, वो अपना हर दर्द भूलकर बस उनके खेल के जश्न में मस्त हो जाता हैं। सचिन की इस महानता के बावजूद उन पर कई बार ऊँगली उठी है और हर बार उन्होंने इसका जवाब अपने मुंह से देने के बजाय अपने खेल से दिया है। लेकिन इस बार खेल के इस भगवान का धैर्य जबाब दे गया..और उन्होंने अपनी आलोचनाओं के चलते बड़ी ख़ामोशी से इस खेल के एकदिवसीय संस्करण से अलविदा कह दिया...वे जानते हैं कि दुनिया भले उन्हें भगवान कहे पर वे एक इंसान है जिसकी अपनी कुछ सीमाएं होती हैं। चालीस वर्ष की इस उम्र में वो चौबीस जैसी स्फूर्ति और तकनीक नहीं ला सकते। उन्होंने कहा था कि वे सीरीज़ दर सीरिज़ अपने खेल का आकलन करेंगे और अब शायद उन्हें लगने लगा हो कि उनमें वनडे क्रिकेट के योग्य तेजी नहीं रही...इसलिए हमारे लिए सचिन का ये फैसला चौकाने वाला रहा हो पर उनके लिए तो ये एक सोची-समझी रणनीति ही है।

बहरहाल, क्रिकेट के इस जादूगर के खेल कौशल अब हम टेस्ट क्रिकेट में देखेंगे...लेकिन कब तक? ये बता पाना आसान नहीं है...क्योंकि सचिन ही जानते हैं कि उन्हें अपने आगे के करियर को किस तरह से दिशा देनी है और कब उसपे विराम लगाना है। हो सकता है कि उनके इस फैसले की तरह उनके टेस्ट करियर को अलविदा कहने का फैसला भी चकित करने वाला साबित हो...क्योंकि सचिन उन लोगों में से नहीं जो अपने व्यक्तिगत मोह के चलते टीम में बोझ बने रहे..टीम और देशहित हमेशा उनके लिए सर्वोपरि रहेगा। अंत में शारजाह में हुए एक मेच के पोस्टर पे लिखा स्लोगन याद करना चाहूँगा "जब मैं मरूँगा तब भगवान को देखूंगा तब तक मैं सचिन को खेलते हुए देखूंगा"......

5 comments:

  1. ख्याल बहुत सुन्दर है और निभाया भी है आपने उस हेतु बधाई,

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  2. सचिन का इस तरह से अचानक संन्यास लेना कुछ अच्छा नही लगा,,,

    recent post : समाधान समस्याओं का,

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  3. Ankur jain ji apne behad prabhavshali prstuti di hai ...eske liye abhar . Sachin jaise mahan ballebaj ka es traha sanyas lena aur sanyas ke bad media ki khamoshi .....ye kalpana se pre hai .

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  4. पोस्ट का आगाज जितना सुंदर है उसका अंत भी उतना ही बेहतर। मुझे सचिन पर दो पोस्टर और युवी के मोबाइल पर सचिन के नाम की जानकारी मिली। संयोग से आपका चेहरा मेरे कजिन ब्रदर से बिल्कुल मिलता है। कभी फिल्मों पर लिखते हुए आप खुद बड़े स्टार बन जाएं और डूप्लीकेट की जरूरत पड़े तो बताएं....

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    1. बहुत-बहुत शुक्रिया...आपकी इस अभिमान से भर देने वाली प्रतिक्रिया के लिए :)...मेरे लेखन को जिस अंदाज में आपने सराहा है उसके लिए धन्यवाद।।।

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