कुछ जिंदगी के अनुभव |
मेरी ज़िन्दगी के कडवे मिज़ाज, हालातों की बेरुखी और कई बार दूनियादारी की कम समझ होने के साथ ज़ज्बाती होने की जो सज़ा मुकर्रर की गई है उसी का फलसफा यहाँ हिस्सों मे पेश कर रहा हूँ यह मेरी शाश्वत भटकन का प्रतीक है और अपने जैसे किसी की तलाश का परिणाम भी...। ये मेरे द्वारा ईजाद किए गए कोई दिव्य वाक्य नहीं हैं पर जिस किसी के भी कहे गए लफ़्ज हैं उसने यथार्थ के गहन अनुभव से ही इन्हें कहा होगा, मैंने तो बस इन्हें अपनी जिंदगी में साकार होते देखा है। इन्हें मेरे द्वारा किसी व्यक्ति विशेष का चरित्र चित्रण अथवा व्यक्तिगत अनुभव का सारांश न समझा जाए बल्कि इसका अर्थ अधिक व्यापक एवं सम्रग है...मै ऐसा समझता हूँ....।
चलिए शुरु करते हैं-
- इस दुनिया में आपके अलावा कोई आपको सुखी नहीं कर सकता और नाही कोई दुखी बना सकता।
- समस्या अपना समाधान खुद खोज लेती हैं आपके हाथ सिर्फ सब्र करना होता है समाधान नहीं।
- दूनिया मे अपने जैसा कोई और भी होगा ऐसा सोचना सबसे बडी मूर्खता है लोग अपने जैसे प्रतीत होतें है लेकिन होता कोई नही।
- ऐसे आदमी से सदैव सावधान रहना चाहिए जिसके पास खोने के लिए कुछ भी न हो।
- किसी के लिए अपने सपनों के साथ समझौता किसी हालत मे नही करना चाहिए वरना ज़िन्दगी भर एक कसक बनी रहती है।
- 'विश्वास मत करो, संदेह करो' यह दर्शन ज्यादा प्रेक्टिकल है जिसे अक्सर भावुक लोग नकार देते है।
- प्यार और परिंदे को खुला छोड़ दीजिए, अगर लौट के आया तो आपका है और नहीं आया तो आपका था ही नहीं।
- अपने अतिरिक्त किसी से भी वफा की उम्मीद करना बेमानी है, सबकी अपनी-अपनी मजबूरी होती हैं।
- कच्ची भावुकता और परिपक्व संवेदनशीलता मे फर्क करना जितनी जल्दी सीख सको सीख लेना चाहिए वरना आप अक्सर रोते हुए पाए जाते हैं और हालात आप पर हँसते है।
- मित्रता के साथ कभी सामूहिक व्यवसायिक प्रयास की सोचना भी मूर्खता है अंत मे न दोस्ती नसीब होती है और न ही कुछ व्यवसायिक काम सिद्द होता है।
- इस दुनिया में हर इंसान रिश्तों के तवे पर अपने-अपने स्वार्थ की रोटियां सेंक रहा है फिर वो चाहे मां-बाप हों, भाई-बहन, पत्नि या प्रेमिका।
- अक्सर लोग आपका ज्ञान आपसे सीखकर आपके ही सामने बडी ही बेशर्मी के साथ बघार सकने की हिम्मत रखते है सो इसके लिए मानसिक रुप से तैयार रहना चाहिए।
- आप किसी के लिए सीढ़ी बन सकते हैं लेकिन मंजिल कभी नही, अक्सर लोग एक पायदान का सहारा लेकर उपर चढ़ जाते हैं और आप जड़तापूर्वक यथास्थान खडे हुए रह जातें है।
- रंज, मलाल, अपेक्षा और अधिकारबोध ऐसे भारी भरकम शब्दों को समझने की मैंटल फैकल्टी लोगो के पास होती ही नही है।
- रिश्तों मे अपनी जवाबदेही अक्सर कम ही लोग समझ पातें है दोषारोपण बेहद आसान है लेकिन किसी की कमजोरियों के साथ उसका साथ निभाना बहुत मुश्किल काम है।
- सफलता सम्बन्धों का फेवीकोल है असफल लोग अक्सर एक साथ नही रह पातें है।
- अतीत व्यसन से बडा कोई दूसरा व्यसन दूनिया मे हो ही नही सकता यह आपको रोजाना जिन्दा करता है और रोजाना मारता हैं।
- दूनिया की सबसे बडी सच्चाई यही है कि आदमी इस भरी दूनिया में नितांत ही अकेला है, सम्बन्धो का हरा-भरा संसार एक शाश्वत भ्रम है।
- दुनिया में इंसान की पहचान कभी उसके स्वतंत्र अस्तित्व और व्यक्तित्व से नहीं होती; बाहरी संयोग, शोहरत और सफलता अनिवार्य आईडी कार्ड है।
- आपका कोई भी फैसला कभी गलत नहीं होता, बस कुछ के नतीजे ग़लत निकल आते हैं।
अभी बस इतना ही और भी बहुत सी बातें है लेकिन अगर मै सभी को लिखुंगा तो आपको लगेगा कि महान लोगों की उक्तियाँ टीप रहा हूँ। यह मेरा तज़रबा है ऐसे ही कुछ तज़रबे आपके भी हो सकते हैं यदि हैं तो अवगत कराएं। अगर आप इनसे कुछ सबक ले सकें तो मुझे खुशी होगी लेकिन यह सच है कि मैं आज तक नही ले पाया हूँ।.........अंश
यह २० सूत्रीय कार्यक्रम जैसा है और बिल्कुल यथार्थ पर आधारित है। बार-बार पढ़ने योग्य
ReplyDeleteबिल्कुल सर, जीवन का यथार्थ है ये।
Deleteसुंदर सीख देते अनुकरणीय अनुभव ,,,,
ReplyDeleteRECENT POST बदनसीबी,
बहुतों से पूर्णतया सहमत, कुछ अनुभव की प्रक्रिया में।
ReplyDeleteदेर -सबेर सभी को ये सभी बातें समझ आने लगती हैं..अनुभव इसी को कहते हैं आप की उम्र देखते हुए आप यह ज्ञान थोडा शीघ्र मिल गया है,शायद सामाजिक जीवन बहुत ही समृद्ध है आप का..
ReplyDeleteअधिकतर लोग कुछ ऐसा ही सोचते हैं मेरे बारे में :)
Deleteमैं समय 'हुं'.--साईड बार में लिखे इस वाक्य में 'हूँ 'की वर्तनी कृपया ठीक कर लें.
ReplyDeleteजी जरुर.....
Deleteअक्सर लोग आपका ज्ञान आपसे सीखकर आपके ही सामने बडी ही बेशर्मी के साथ बघार सकने की हिम्मत रखते है सो इसके लिए मानसिक रुप से तैयार रहना चाहिए।......,अच्छा आकलन।
ReplyDeleteसार्थक लिखा है ... सभी बातें ज्ञान का खजाना बाँट रसही हैं ... जीवन का यथार्थ है ...
ReplyDeleteधन्यवाद सर...
Deleteबहुत ही बेहतरीन और शुक्रिया आपका, अंकुर. आगे भी ऐसे ही रोचक और ज्ञानवर्धक जानकारी उपलब्ध कराते रहें
ReplyDeleteजी अवश्य...अपनी ओर से सदा लेखन का सर्वोत्तम औऱ सार्थक प्रयास करता रहुंगा।।।
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ReplyDeleteashikansh baten sahi lag rahi hai. anubhav ki seekh galt ho bhi kaise sakti hai . par kya anubhav kuchh vishesh paristhitiyon ki paidais nahi hai ? hum un kuchh aankalnon ko samagrata par kaise laagu kar sakte hai ??
ReplyDeletefirst word is Adhikansh
ReplyDeleteashikansh baten sahi lag rahi hai. anubhav ki seekh galt ho bhi kaise sakti hai . par kya anubhav kuchh vishesh paristhitiyon ki paidais nahi hai ? hum un kuchh aankalnon ko samagrata par kaise laagu kar sakte hai ??
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